Sunday, March 25, 2018

जब सरकारी शौचालय बन जाये स्टोर रूम

स्वच्छता मिशन को मुँह चिढ़ा रहें ओडीएफ शौचालय

गणेश चन्द पाण्डेय
------------------------

■कहीं समान तो कंही पुआल रखने का अड्डा बना ओडीएफ शौचालय
■विचारों में परिवर्तन से ही होगा देश स्वच्छ
-----------------------

हम सबने फ़िल्म निर्देशक नारायण सिंह के निर्देशन में बनी फ़िल्म 'टॉयलेट: एक प्रेम कथा' अवश्य देखी होगी । जो देश में चल रहे स्वच्छता मिशन पर आधारित है । जिसमें समाज के उन पहलुओं को दिखाया गया है । जिससे सरकार को आये दिन दो चार होना पड़ता है । फ़िल्म के नायक अक्षय कुमार जब अपनी पत्नी के लिए शौचालय का निर्माण कराना चाहते हैं तो उनके सामने रीति रिवाज के साथ समाज भी अड़चन के रूप में सामने खड़ा हो जाता है । वंही सिस्टम से लड़ने से लगायत नायक नायिका फ़िल्म में समाज व समाज द्वारा बनाये गए रीति रिवाज से लड़ते हुए दिखाई देते हैं । अंततः उनका सपना पूरा होता है और सरकारी सिस्टम, समाज के रीति रिवाजों पर विजय पा लेते हैं और शौचालय का सपना सच हो जाता है । फ़िल्म में अक्षय कुमार एक टीवी एंकर को दे रहे इंटरव्यू में एक संवाद बोलते हैं जिसपर गौर करने लायक है । अक्षय कुमार बोलते हैं कि सरकार ने तो शौचालय बनवा दिया लेकिन इसका इस्तेमाल कैसे करना है, नही समझाया ?

आज पूरे देश में खुले में शौचमुक्त भारत के लिए अभियान छिड़ा है । लेकिन ये कंहा तक सार्थक हो रहा है ? ये एक महत्वपूर्ण सवाल है । देखा जाए तो सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि समय सीमा  के भीतर ये लक्ष्य प्राप्त कर ले । लेकिन जबतक ग्रामीण इसमें सहयोग नही करेंगें और अपने आदतों व विचारों में परिवर्तन नही लाएंगे तब तक इस लक्ष्य को प्राप्त करना आसान नही है ।
विगत दिनों उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जनपद के भटहट विकास खण्ड के भ्रमण के दौरान मुझे कुछ ऐसा नजारा मिला जो मुझे आश्चर्य चकित कर दिया । वैसे ये मामला कोई नया नही है लेकिन सरकार की योजनाओं को ग्रामीण किस प्रकार से उपयोग में लाते हैं और सरकारी  कर्मचारी अपना कार्य कंहा तक ईमानदारी से पूरा करते हैं, इसे लिखना मैं जरूर समझा क्योंकि जागरूकता सबसे ज्यादे जरूरी है । गोरखपुर जनपद जो मुख्यमंत्री का गृह जनपद भी है । पूरे जनपद व ब्लाक को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) करने की तैयारी जोरों पर है । गांवों को जल्दी जल्दी ओडीएफ घोषित किया जा रहा है । लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है । वैसे उच्च अधिकारियों के दबाव के चलते विकास खण्ड में शौचालय बनवाने का कार्य प्रगति पर है, लेकिन ब्लाक कर्मचारी व प्रधान शायद ये भूल गए कि इसका सख्ती से इस्तेमाल करना भी ग्रामीणों को सिखाना होगा । फिलहाल कर्मचारियों के ऐसा ना करने से आज ग्रामीण शौचालयों का इस्तेमाल घरेलू समान, पुआल रखने व दुकान खोलने आदि के प्रयोग में ला रहे हैं ।

महात्मा गांधी जी ने देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी और उनकी इच्छा भी थी कि भारत देश स्वच्छ व निर्मल हो । इसी को ध्यान में रखकर 2 अक्टूबर 2014 गांधी जयंती पर मोदी सरकार ने देश को स्वच्छ बनाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) के लिए गांव - गांव, घर - घर शौचालय बनाने का मुहिम चलाया । जिसके अंतर्गत जनपद से लेकर के प्रत्येक ब्लाक के प्रत्येक गांव के घर घर शौचालय बनाये जा रहे हैं । वंही समय सीमा के भीतर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ब्लाक के कर्मचारी लगे हुए हैं । शौचालय सम्बंधित जानकारी भी दी जा रही है लेकिन जो हाल भटहट ब्लाक का है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि बन रहे शौचालय स्वच्छता मिशन को मुँह चिढ़ा रहे हैं । गांव में शौचालय चेक किया गया तो पाया की किसी ने शौचालय के आगे पुआल आदि रख दी, तो किसी ने अपने शौचालय में घरेलू सामान व टूटे दरवाजे से भर दिए ।

भटहट विकास खण्ड के ग्रामसभा फुलवरिया के बखरैति टोला जंहा पर ऐसा नजारा देखने को मिला जो स्वच्छता मिशन की धज्जियां उड़ा रहा है । इस गांव में कुछ ऐसे शौचालय दिखे जंहा एक शौचालय के सामने पुआल तो वंही दूसरे शौचालय में घरेलू सामान व टूटा हुआ दरवाजा आदि रखा गया है । वंही ब्लाक के कर्मचारियों द्वारा इसको ओडीएफ घोषित भी कर दिया गया है । जबकि नियमतः उसी गांव को ओडीएफ घोषित किया जा सकता है जंहा के प्रत्येक व्यक्ति शौचालय का प्रयोग करता हो । शौचालयों में घरेलू सामान आदि जंहा रखा जा रहा है वंही बिना जांचे ब्लाक के अधिकारियों द्वारा ओडीएफ घोषित कर देना कंहा तक उचित है ? इस सम्बंध में कुछ कहने की जरूरत नही है क्योंकि सरकारी पैसों का किस प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है । हम सब जानते हैं ।

साथ ही एक अन्य पहलू पर भी विचार करना अनिवार्य है । सबसे महत्वपूर्ण सवाल : आखिर सरकार इतनी योजनाएं किसके लिए लाती है ? इस प्रश्न का आसानी से जबाब कोई भी दे सकता है - देश और देश के प्रत्येक नागरिक के लिए । हां ...यही सही जबाब है । फिर हम सब क्यों स्वयं के साथ अपने आसपास के लोगों को जागरूक नही करते ? हम ये भी अच्छी तरह से जानते हैं कि सरकार जो सुविधाएं , योजनाएं हम सब के लिए लागू करती है...उसपर व्यय होने वाली धनराशि भी हम लोगों के जेबों से ही जाती है । फिर भी योजना जब हमारे दरवाजे पर आती है तो बस उसका गलत तरीके से उपयोग में लाते हैं । सरकार अगर देश को स्वच्छ करने के प्रयास में है तो उसके इस कार्य में हमारा कंहा तक सहयोग है ? इसका भी मूल्यांकन हमको ही करना है । अगर सरकार के द्वारा बनाये गए शौचालयों का उपयोग हम सब समान रखने, दुकान खोलने या अन्य किसी कार्य में लाते हैं तो सरकार की धनराशि का कहीं ना कंही दुरुपयोग हम कर रहे हैं । हमें स्वयं जागरूक होना पड़ेगा और सहयोग करना पड़ेगा । 

मेरे एक दोस्त अभी हाल ही में जापान की शैर पर गए हुए थे । जब वो वंहा पहुंचें तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गयी । उन्होंने अपने अनुभव बांटते हुए बताया कि यंहा हर तरफ स्वच्छता ही दिख रही है । कंही भी गंदगी का नामो निशान नही है । वंही शांति भी कमाल का है ना ही गाडियों के हॉर्न की आवाज सुनाई देती है और ना ही लोगों के शोरगुल । उन्होंने एक और बात भी कही मुझसे कि जापान देश की तरह स्वच्छ बनने में अपने देश को अभी काफी वर्ष लगेंगे । जरा सोचिए ! हम सब कितने पीछे हैं । 70 वर्षों में जंहा अन्य देश आसमान की बुलंदियों को छू रहे हैं वंही आज भी हम सब घिसे पिटे दिन गुजारने में लगे हैं । सरकार इस देश को स्वच्छ बनाने के लिए पहला कदम उठाया है और इस कदम के साथ जब तक हम सब कदम नही बढ़ाएंगे ...तब तक देश को स्वच्छ और निर्मल बना पाना नामुमकिन होगा ।

खैर ! वंही जब उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जनपद के भटहट ब्लाक के एडीओ पंचायत जगवंश कुशवाहा से ब्लाक में चलाए जा रहे ओडीएफ के सम्बंध में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि पूरे भटहट ब्लाक में 35 हजार शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया है । जिसमें से 80 प्रतिशत शौचालयों का निर्माण कार्य हो चुका है और 20 गाँव ओडीएफ घोषित किये जा चुके हैं । जिसमें से एक बखरैति गांव भी है । जब बखरैति गांव में शौचालयों की दुर्दशा और ग्रामीणों द्वारा उपयोग में ना लाने की बात कही गयी तो उन्होंने बताया कि जब तक निगरानी गांव में की गई तब तक सभी ग्रामीण शौचालय का उपयोग करते हुए मिले । देखिए ! जब तक ग्रामीण अपने विचारों में परिवर्तन नही लाते हैं तब तक इससे मुक्ति नही मिल सकती । संज्ञान में ऐसा मामला आएगा तो शौचालय लाभार्थियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जायेगी ।

यंहा यह भी बतादें कि सरकार ने 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी के जन्म की 150 वीं वर्षगांठ तक ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौंच मुक्त भारत (ओडीएफ) को हासिल करने का लक्ष्य रखा है। खैर ! ये देखना होगा कि ग्रामीण, ब्लाक कर्मचारी व उच्चाधिकारी इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अपनी कहाँ तक भूमिका अदा करते हैं । अंत मे एक खुशी की बात यह है कि देश का पहला राज्य सिक्किम ओडीएफ घोषित हो चुका है ।

( इस लेख पर अपनी राय अवश्य दें, लेख में कोई त्रुटि हो तो मुझे अवगत कराना ना भूलें )



No comments:

Post a Comment

माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती

माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती, यहाँ आदमी आदमी से जलता है.. दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं...