Wednesday, April 18, 2018

नारी समाज के लिए पुरूष बनता अभिशाप

धैर्य की पराकाष्ठा आखिर कब तक ?

गणेश पाण्डेय 'राज'
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साहस, संवेदनशील और धैर्य की पराकाष्ठा को अपने में समेटे हुए आज की नारी किस हाल में जी रही है, इसपर प्रत्येक नागरिक को विचार करने की नितांत आवश्यकता है । हम 21वीं युग में जी रहे हैं । आज समाज बदलाव पर है । हम चांद सितारों की बात करते हैं । लेकिन जब वंही एक नारी की बात आती है तो उसे निर्बल, लाचार और ना जाने किन किन शब्दों से हम सब सम्बोधित करने लगते हैं । जिस नारी के मान सम्मान के लिए आये दिन हम सब सड़कों पर बिना सोचे समझे निकल जाते हैं । उस नारी कि हम व्यक्तिगत तौर पर कितना सम्मान करते हैं इसका भी मूल्यांकन स्वयं करना भी नितान्त आवश्यक है । वर्तमान समय में नारी सबल है, ये सिर्फ मान्यता है । जो हम सब ने बना रखी है । मान्यता इस लिए क्योंकि व्यक्तिगत तौर पर हम नारी का सम्मान करने का सिर्फ ढोंग करते हैं ।

आज और कल में बहुत परिवर्तन आया है । समाज का निचला तबका भी ऊंचाईयों को छूना चाहता है । लेकिन इस समाज ने नारी को आज भी ऊपर उठने नही दिया । कारण - क्योंकि वो आज भी नारी समाज को अबला समझता है । क्या ऐसे हम एक अच्छे समाज की परिकल्पना कर सकते हैं । बिल्कुल नही । अतिति काल से सरकारें, समाज और विभिन्न संगठन नारी सशक्तिकरण की बातें करती आ रही है । मैं पूछना चाहता हूं अगर अतिति काल से नारी सशक्तिकरण की मुहिम चलाई जा रही है तो नारी आज भी बेबस लाचार क्यों है ..? क्यों आज भी उसको पुरुषों के बराबरी का हक़ नही मिल पाया..? आज भी देश में ऐसे कई क्षेत्र व गांव है जंहा पर लड़कियों को वो शिक्षा या वो आजादी नही मिल पाई है जो पुरुष जाति को मिला है । हम इसे ही समानता की बातें कहते हैं । हमारे संविधान में भी समानता के अधिकार की बातें की गई हैं फिर ऐसा क्यों है कि 21वीं सदी में पहुंचने के बाद भी नारी सशक्त नही हो पाई ..? नारी खुले आसमान में सांसे नही ले सकती...? नारी हम पुरुषों से कंधा मिला कर के नही चल सकती ..? मैंने जब इन अनगिनत सवालों का जबाब ढूंढा तो इसका सिर्फ एक ही जबाब मिला ....पुरुष ..? जो अपने मद में आज भी नारी के अधिकारों और उसकी स्वतंत्रता को रौंद रहा है और यह कर के अपने आपको गर्वान्वित महसूस कर रहा है । 

आज जिस तेजी से बलात्कर, नारी शोषण और स्कूल, कॉलेजों में लड़कियों के मासूमियत के साथ खिलवाड़ हो रहा है उससे अभिभाव पूरी तरह से डरा और सहमा हुआ है । यही वजह है कि अभिभावक जब इन मासूम लड़कियों के पर निकलने लगते हैं तो वसूलों, पाबन्दियों की कैंची से इसे कुतर देता है । जिससे लड़कियां स्वयं के सारे अरमानों को जला कर राख कर देती है और खुद को किसी पंछी की तरह अपने को पिंजरे में बंद कर लेती है । ऐसा इसीलिए है क्योंकि पुरुष जाति अपनी परिभाषा स्वयं बदल डाली है । अपनी ताकत ऐसे जगहों पर दिखा कर आज पुरुष अपने आप को बलवान साबित करने में लगा हुआ है । 


हमारे देशवासी भी जब कोई बलात्कार या दुराचार की घटना घटती है तो कैंडिल जुलूस, धरना प्रदर्शन आदि करने के लिए तत्पर रहती है ...लेकिन इन्ही देशवासियों में से किसी एक के सामने कोई ऐसा घटना घट रही हो तो मुँह फेर लेते हैं । अभी हाल में ही उन्नाव, कठुआ, गुजरात, महाराष्ट्र, गोरखपुर आदि जगहों से बलात्कर की घटनाएं सुनने में आई । जो बहुत ही शर्मनाक है । अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश गोरखपुर जनपद के एक थाना क्षेत्र में तो मंदबुद्धि, विकलांग व नाबालिग लड़की के साथ एक युवक ने बलात्कर की घटना को अंजाम दिया । क्या पुरुष समाज इतना गिर गया है ..? क्या पुरुष समाज इन नारी के सम्मान से खिलवाड़ करके अपनी ताकत दिखाना चाह रहा है ..? 

खैर ! एक बात और ! जिस प्रकार आतंकवादियों का कोई मजहब नही होता ठीक उसी प्रकार से बलात्कारियों का भी कोई मजहब नही होता । ये बात किसी को भूलनी नही चाहिए । पीड़ित नारी किसी भी धर्म जाति की क्यों ना हो , हमें ये नही भूलना चाहिए कि वह सबसे पहले हिंदुस्तानी है । हिंदुस्तान की किसी भी नारी पर कोई आंच आता है तो समझ जाओ पुरुषों कि तुम्हारे देश पर आंच आता है । 

जब निर्भया कांड हुआ था और पूरा देश कैंडिल जुलूस निकाली थी तब ये एहसास हुआ था कि अब ऐसी घटनाएं देश में नही होंगी । क्योंकि पूरा देश एक साथ खड़ा था । मुझे विश्वास है कि वो पुरुष भी उस वक़्त जुलूस में जरूर शामिल हुए होंगे जिनका मन नारी जगत को लेकर गन्दी भावनाएं हैं । लेकिन वो उस वक़्त अपने अंदर छिपे हवस के दैत्य का समुचित रूप से संहार नही कर सके, अगर किये होते तो शायद ऐसे घटनाओं के बारे में सुनने को नही मिलता । जब  तक पुरुष समाज अपने अंदर छिपे हवस रूपी दैत्य को मार नही देता तब तक ऐसी घटनाओं से समाज को निजात नही मिलने वाला । 

 अंत में ये चार पंक्तियां सभी पुरुषों को समर्पित -

ताकत नही है इसमें कि नारी पर तुम अत्याचार करो..

छेड़ो इनको और इनका तुम बलात्कार करो..
पुरुष हो गर तुम, तो फिर पुरुषार्थ करो..
नारी है दुर्गा शक्ति, इनका हरदम तुम सत्कार करो ..!


(कम्मेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें)

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