पहले देश का बंटवारा, अब रेप का बंटवारा ..?
●देखा जाए तो ऐसा लगता है कि बलात्कारियों को भी आरक्षण मिल गया हो । जो जिस कटेगरी में अत्याचार करेगा उसे वैसी ही सजा मिलेगी।
गणेश पाण्डेय 'राज'
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पिछले कुछ महीनों में जिस तरीके से बच्चियों संग रेप की घटनाओं को अंजाम दिया गया । उससे ना सिर्फ देश हिल गया बल्कि विदेशों में भी खूब चर्चा का विषय बना रहा । देश में कैंडिल मार्च, पोस्टर सेलेब्रिटीज़ अभिनेत्रियों सहित देश के हर एक नागरिक ने इस घिनौने कृत को जड़ से खत्म करने की आवाज उठाई । वैसे तो इसका आगाज पांच वर्ष पूर्व निर्भया कांड के दौरान ही हो गया था लेकिन शायद उस वक़्त बहुत से लोग सड़कों पर नही उतर पाए और सरकार ने भी ध्यान नही दिया । फिलहाल कठुआ कांड में फ़िल्म अभिनेत्रियों से लगायत गांव गांव में लोगों ने कैंडिल मार्च कर सरकार से न्याय की गुहार लगाई । वंही मोदी सरकार ने भी इस मुद्दे को गम्भीरता से लिया और कानून में बदलाव करते हुए 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार करने पर सजा-ए-मौत का ऐलान कर दिया । लेकिन बलात्कार तो बलात्कार है चाहे वो बच्ची के साथ हो या फिर महिला के साथ । इस घिनौने केश में तो मौत की ही सजा होनी चाहिये ?
भारत देश सन 1947 में दो देशों में बंट गया । भारत और पाकिस्तान । आज भी हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं कि अपना देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ । उस वक़्त बाहुल्य सम्प्रदाय को ब्रिटिश सरकार ने दो भागों में विभाजित कर दिया था । लेकिन 2018 में 70 साल के बाद फिर एक बार महिलाओं पर हो रहे घिनौने अत्याचार बलात्कार जैसी घटनाओं को उम्र के हिसाब से बांट दिया गया । वंही देखा जाए तो ऐसा लगता है कि बलात्कारियों को भी आरक्षण मिल गया हो । जो जिस कटेगरी में अत्याचार करेगा उसे वैसी ही सजा मिलेगी।
जब किसी महिला की इज्ज़त लुटती है तो वो पूरी तरह से टूट जाती है । वंही समाज के लोगों का भी पीड़िता के प्रति नजरिया ही बदल जाता है । कई ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि रेप की घटनाओं के बाद महिलाओं ने आत्महत्या कर लिया है । फिर आखिर ऐसी स्थिति में सरकार ने उम्र के लिहाज से सजा का प्राविधान क्यों किया ? ...जबकि दोनों तरफ से महिला ही टूटती है ।
मोदी सरकार ने महिलाओं पर होने वाले रेप की घटनाओं में संशोधन तो किया लेकिन महिलाओं को उम्र के हिसाब से बांट दिया । चाहे वो छोटी बच्ची हो या फिर एक महिला ...दोनों की पीड़ा, दर्द आदि सब एक ही तो है । मानते हैं कि कुछ घटनाओं में ऐसा भी देखा गया है कि महिलाएं लिव इन रिलेशन में रहने के बाद या शादी, नौकरी, प्रमोशन आदि का झांसा, देकर के बलात्कार करने का आरोप लगाती हैं । लेकिन ऐसे घटनाओं में अलग प्राविधान बनाया जा सकता है । ऐसी घटनाओं में जो संशोधन किया गया है वो स्वीकार है लेकिन निर्भया जैसे घटनाओं में ..? राह चलती महिला के साथ होने वाली बलात्कार की घटना में ..? क्या इन महिलाओं को भी वही न्याय मिलेगा ..? किसी प्रलोभन में आकर के शोषण का शिकार हो जाने का मामला अलग है और राह चलते महिला का बलात्कार होने की घटना अलग है । सरकार को चाहिए कि महिलाओं उम्र के हिसाब से ना बांटें, बल्कि उनको एक बना के रखे...एक समान समझे और बलात्कार जैसी घटनाओं में चाहे वो गैंग रेप हो या फिर किसी बच्ची या महिलाके साथ रेप हो, रेप की घटनाओं में सिर्फ एक ही सजा होनी चाहिए ।...... 'सजाए मौत' !
फिलहाल ये भी जान लेना आवश्यक है कि सरकार ने बलात्कार की घटनाओं में कानूनी क्या बदलाव किया है - पॉस्को (यौन अपराध से बच्चों की सुरक्षा)
● 12 साल की बच्चियों से रेप पर फांसी की सजा
● 16 साल से छोटी लड़की से गैंगरेप पर उम्रकैद की सज़ा।
●16 साल से छोटी लड़की से रेप पर कम से कम 20 साल की सज़ा
●सभी रेप केस में 6 महीने के भीतर फैसला सुनाना ज़रूरी।
●नए संशोधन के तहत रेप केस की जांच 2 महीने में पूरी करनी होगी।
●अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।
●महिला से रेप पर सजा 7 साल से बढ़कर 10 साल होगी।
( अपना राय जरूर दें )
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