इस सावन पड़ रहे हैं चार सोमवार जो देंगे मनचाहा वरदान
गणेश पाण्डेय 'राज'
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हिन्दू धर्म, अनेक मान्यताओं और विभिन्न प्रकार के संकलन से बना है। हिन्दू धर्म के अनुयायी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ़ रहते हैं कि हिन्दू जीवनशैली में क्या चीज अनिवार्य है और क्या पूरी तरह वर्जित। यही वजह है कि अधिकांश हिंदू परिवारों में नीति-नियमों का भरपूर पालन किया जाता है। हिन्दू परिवारों में सावन को बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण महीने के तौर पर देखा जाता है। इसकी महत्ता इसी बात से समझी जा सकती है कि सावन के माह में मांसाहार पूरी तरह वर्जित होता है और शाकाहार को ही उपयुक्त माना गया है। इसके अलावा मदिरा पान भी निषेध माना गया है।
हिन्दू धर्मों में सावन का महीना सबसे ज्यादा पुण्यदायी माना गया है। ऐसे में यदि विशेष योगों का योग भी बन जाए तो सोने पर सुहागा ही होता है। कुछ ऐसा ही होने वाला है 28 जुलाई से शुरू हो रहे सावन महीने में। इस बार देवों के देव महादेव भगवान शंकर की उपासना के लिए महत्वपूर्ण सावन माह में कई विशेष संयोग पड़ रहे हैं। हर सोमवार को साधना का विशेष संयोग है। भक्तों ने पहले दिन ही कांवड़ यात्रा, रुद्राभिषेक और जलाभिषेक की तैयारी की है। ज्योतिर्विदों के अनुसार इस बार सावन में शिव की पूजा अधिक फलदायी होगी।
वंही सभी शिवालयों में विशेष तैयारी पूरी कर ली गयी है । शिव मंदिरों में सावन के पहले सोमवार को भोर से ही भक्तों का तांता लगा रहा । यंहा बतादें कि श्रावण मास में इस बार सावन का महीना 28 या 29 दिनों का नहीं रहेगा बल्कि पूरे 30 दिनों तक चलेगा। ऐसा संयोग 19 साल बाद बन रहा है। दरअसल इस बार का सावन 30 दिनों का होने के पीछे अधिकमास पड़ने के कारण हुआ है। सबसे खास बात यह है कि इस सावन माह में 4 सोमवार पड़ रहा है । बहुत से लोग सावन या श्रावण के महीने में आने वाले पहले सोमवार से ही 16 सोमवार व्रत की शुरुआत करते हैं। जो सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है । इन चारों सोमवार जगत गुरु भगवान शिव का पूजन और शिवालयों में रुद्राभिषेक होगा। ऐसी मान्यता है कि सावन में सोमवार को व्रत रखने और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धिआती है। भोलेनाथ इतने भोले हैं कि मात्र 'ॐ नमः शिवाय' कहने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं ।
सावन के महीने में व्रत रखने का भी विशेष महत्व दर्शाया गया है। मान्यता है कि कुंवारी लड़कियां अगर इस पूरे महीने व्रत रखती हैं तो उन्हें उनकी पसंद का जीवनसाथी मिलता है। इसके पीछे भी एक कथा मौजूद है जो शिव और पार्वती से जुड़ी है। पिता दक्ष द्वारा अपने पति का अपमान होता देख सती ने आत्मदाह कर लिया था। पार्वती के रूप में सती ने पुनर्जन्म लिया और शिव को अपना बनाने के लिए उन्होंने सावन के सभी सोमवार का व्रत रखा। फलस्वरूप उन्हें भगवान शिव पति रूप में मिले। इसके साथ सावन में व्रत रखने से भोले बाबा की कृपा बनी रहती है ।